Caneup:2024 में गन्ने की ये टाॅप 5 उन्नत किस्में जो देगी तवातोड़ उत्पादन?

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Caneup:कई कारणों से किसानों में गन्ने की खेती का चलन बढ़ रहा है, गन्ना किसानों को भुगतान में नियमितता, गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी और इथेनॉल बनाने में गन्ने का उपयोग ऐसे कई कारण हैं जो किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। एक ऐसी फसल है जो भारी बारिश और सूखे सहित सभी प्रकार की मौसम स्थितियों में भी बेहतर पैदावार देती है ।

Caneup:2024 में गन्ने की ये टाॅप 5 उन्नत किस्में जो देगी तवातोड़ उत्पादन?
                                            Caneup:2024 में गन्ने की ये टाॅप 5 उन्नत किस्में जो देगी तवातोड़ उत्पादन?


इस समय बसंतकालीन गन्ने की बुआई का कार्य शुरू हो चुका है। देश में गन्ना उत्पादक राज्यों के किसान हर साल फरवरी के आखिरी सप्ताह से मार्च तक गन्ने की बुआई करते हैं, वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने कई ऐसी किस्में विकसित की हैं जो गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद हैं। अधिक पैदावार देने में सक्षम हैं. यहां हम आपको गन्ने की खेती में टॉप 5 किस्मों और बुआई की नई विधि के बारे में जानकारी दे रहे हैं, तो हमारे साथ बने रहें।

2024 में गन्ने की 5 उन्नत किस्में


गन्ने की खेती में किसानों को हमेशा ऐसी किस्म का चयन करना चाहिए जो अधिक पैदावार दे और साथ ही बीमारियों का खतरा भी कम से कम हो. यहां आपको शीर्ष 5 गन्ने की किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है जो इस प्रकार हैं

  • COLK-15201 गन्ने की किस्म
  • CO-15023 गन्ने की किस्म
  • COPB-95 गन्ने की किस्म
  • CO-11015 गन्ने की किस्म
  • COLK-14201 गन्ने की किस्म
  • COLK-15201 गन्ने की किस्म


गन्ने की इस किस्म को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2023 में विकसित किया गया है। यह किस्म शरद रोधी है तथा किसी भी क्षेत्र में बोई जा सकती है। COLK-15201 गन्ने की किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में नवंबर से मार्च के महीनों के दौरान बोई जा सकती है। गन्ने की यह किस्म प्रति एकड़ 500 क्विंटल तक उपज आसानी से देने में सक्षम है. इस किस्म को इक्षु-11 के नाम से भी जाना जाता है

COLK-15201 की लम्बाई अन्य किस्मों से अधिक होती है तथा कलियों का पृथक्करण भी अधिक होता है। इसमें चीनी की मात्रा 17.46 प्रतिशत है जो अन्य किस्मों से अधिक है जिसके कारण यह किस्म अधिक उपज देती है। यह नई किस्म पोका बोरिंग रेड है। छड़ एवं शीर्ष छेदक जैसे रोगों के प्रति सहनशील

CO-15023 गन्ने किस्म कि विशेषताएं किस्म


यह गन्ने की एक ऐसी किस्म है जो कम समय यानी 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है. गन्ने की इस किस्म की बुआई अक्टूबर से मार्च तक की जा सकती है. गन्ने की देर से बुआई के लिए यह किस्म सबसे उपयुक्त है. इसे हल्की यानि रेतीली मिट्टी में भी बोया जा सकता है। गन्ने की किस्म CO-15023 गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र, करनाल (हरियाणा) द्वारा विकसित की गई है। इसे CO-0241 और CO-08347 किस्मों को मिलाकर तैयार किया गया है. इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अन्य किस्मों से अधिक है. गन्ने की यह किस्म अपनी अच्छी पैदावार के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसकी औसत उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.

COPB-95 गन्ने की किस्म


गन्ने की यह किस्म अधिक उपज देने के लिए जानी जाती है. COPB-95 गन्ने की किस्म प्रति एकड़ औसतन 425 क्विंटल उपज देने में सक्षम है. गन्ने की इस किस्म को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म लाल सड़न रोग एवं पीक बोरर रोग के प्रति सहनशील है। यह किस्म खेती की लागत कम करके किसानों का मुनाफा बढ़ाती है। एक गन्ने का वजन 4 किलो तक हो सकता है. इस किस्म के गन्ने का आकार मोटा होने के कारण प्रति एकड़ 40 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है।

CO-11015 Ganna Variety


गन्ने की यह किस्म विशेष रूप से तमिलनाडु के लिए डिज़ाइन की गई है, लेकिन इसे अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में भी उगाया जा सकता है। इस किस्म की बुआई का सही समय अक्टूबर से नवंबर तक है लेकिन इसकी बुआई अक्टूबर से मार्च तक भी की जा सकती है. यह गन्ने की अगेती किस्म है और इसमें कोई रोग नहीं लगता है. एक आंख से 15 से 16 गन्ने आसानी से निकाले जा सकते हैं। एक गन्ने का वजन 2.5 से 3 किलो तक होता है. CO-11015 गन्ने की किस्म की उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है. इसके गन्ने में चीनी की मात्रा 20 प्रतिशत तक होती है. किसान इस किस्म से कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

COLK-14201  Sugarcane variety


गन्ने की किस्म COLK-14201 भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है। गन्ने की यह किस्म रोगमुक्त है और इसमें कोई रोग नहीं लगता है. इसकी बुआई अक्टूबर से मार्च तक की जा सकती है. गन्ने की यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है. इस किस्म में गन्ना नीचे से मोटा होता है, इसके छेद छोटे होते हैं तथा इस किस्म की ऊंचाई अन्य किस्मों की तुलना में कम होती है। गन्ने का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम तक होता है। 17 प्रतिशत चीनी देने वाली यह किस्म एक एकड़ में 400 से 420 क्विंटल तक उपज देती है.

गन्ने की इस नई विधि से किस हो रहे मालामाल


समय-समय पर गन्ने की बुआई के तरीके में बदलाव देखने को मिलते रहते हैं। गन्ना किसान रिंग पिट विधि, ट्रेंच विधि तथा नर्सरी से पौध लाकर गन्ने की बुआई करते हैं। हर गन्ना बुआई विधि के अलग-अलग फायदे हैं। पिछले कुछ समय से गन्ने की बुआई की खड़ी विधि लोकप्रिय हो रही है। इस नई पद्धति को सबसे पहले उत्तर प्रदेश के किसानों ने अपनाया। इस विधि का प्रयोग गन्ने की खेती में करने से बीज कम लगता है और उपज अधिक होती है। अब किसान इस विधि का अधिक प्रयोग कर रहे हैं। ऊर्ध्वाधर विधि के लाभ इस प्रकार हैं

  • खड़ी विधि से बुआई करना काफी आसान है, इसमें मोर्टार समान मात्रा में और उचित दूरी पर लगाया जाता है और संघनन भी बराबर रहता है। मजदूरों की जरूरत कम है.
  • इस विधि में कलियों का पृथक्करण बहुत अधिक होता है। 8 से 10 कलियाँ आसानी से निकल आती हैं। प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है. बीज पर खर्च कम होता है.
  • इसमें एक आंख का शीशा काटकर सीधा रखना होता है। इस विधि से बुआई करने पर गन्ने की कटाई जल्दी हो जाती है।

ऊर्ध्वाधर विधि से अधिक उपज मिलती है। इसमें कलियाँ समान रूप से बढ़ती हैं और कलियों से गन्ना भी समान मात्रा में निकलता है। इस विधि से प्रति एकड़ 500 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है.
जानिए क्या है गन्ने की बुआई विधि

 

People Also Ask ( FAQs )

1.गन्ने की कौन सी किस्म सबसे अच्छी होती है।

  • वर्तमान समय में गन्ना किसानों को फायदे का सौदा देने वाली किस्म 13235 गन्ना प्रजाति एक बेहतरीन रोग रोधी और बंपर पैदावार देने वाली किस्म है।

2. गन्ने की लंबाई एवं मोटाई बढ़ाने के लिए क्या करें

  • गन्ने की लंबाई एवं मोटाई बढ़ाने के लिए किसान फसल में सुगरकेन टॉनिक का प्रयोग करें।

3.सबसे अधिक पैदावार देने वाली गन्ना किस्म कौन सी है।

  • गन्ना किसानों के लिए वर्तमान समय में कई नई किस्म ऐसी हैं जो सर्वाधिक पैदावार दे के किसानों का फायदे का सौदा बन रही है। जिम एक किस सीओपीबी ( COPB ) 93 वैरायटी सबसे उत्तम मानी गई है जिसकी पैदावार 335 से 400 कुंतल प्रति एकड़ तक है।

 

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